इस दीवाली
* इस दिवाली— *
इस बार की दिवाली कुछ ऐसे मनाएँ हम
लौटे नहीं जो उन्हें घर लिवा लाएं हम
खुरदरी हकीकतें जिनको रुला रहीं हैं
मुस्कान की इक पोटली थमा आएँ हम
पत्थर के हो गए जिगर हैं जिनके
करुणा का इक तोहफ़ा दिला लाएं हम
करते हैं कलरव ज़ख्म जिनके हरदम
कुछ पल गुज़ारें दर्द को सिला लाए हम
नाराज़ हुए एतबार को न डूबने दिया जाए
तटों पे मोड़ मंज़िल से मिला लाएं हम
रेत सी है प्यास आई जिनके हिस्से में
भर सकोरा प्यार का बुझा आएँ हम
बुझे हुए हैं चिराग जिन घरों की बाम पर
घर से थोड़ी रोशनी ले जला आएँ हम ।