इस दिल को आराम नहीं हैं
यूँ तो हम गुलफाम नहीं हैं
लेकिन हम गुमनाम नहीं हैं
आदत है कवितायेँ लिखना
यूँ न समझना काम नहीं हैं
खेत और खलिहानों जैसा
कोई तीरथ धाम नहीं हैं
वो भी सबके जैसे निकले
ख़ास हुए अब, आम नहीं हैं
तितली भँवरे आयें कैसे
कलियों के पैगाम नहीं हैं
आदर्शों की बात न करना
कलयुग है अब, राम नहीं हैं
सोच-विचारों में है डूबा
इस दिल को आराम नहीं हैं