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30 Jan 2024 · 1 min read

इस तरह क्या दिन फिरेंगे….

जो छलेंगे, वो फलेंगे।
इस तरह क्या दिन फिरेंगे ?

डग न सीधे भर रहे जो,
पर लगा नभ में उड़ेंगे।

आज हम उस राह पर हैं,
जिस राह बस गम मिलेंगे।

चल न तपती रेत में यूँ,
पाँव में छाले पड़ेंगे।

राह सच की चुन चला चल,
मुश्किलों के दिन ढलेंगे।

साथ देते जो गलत का,
हाथ वो पीछे मलेंगे।

दौड़ता है वक्त हर पल,
अश्व रोके क्या रुकेंगे।

तू न दे गर साथ तो क्या,
हम न कोई दम भरेंगे ?

सर्द दिन ये और कब तक,
मूँग छाती पर दलेंगे।

आ रहा ऋतुराज देखो,
चाहतों के गुल खिलेंगे।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

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