इस तरह का कभी हादसा फिर न हो
इस तरह का कभी हादसा फिर न हो
ज़ीस्त में इश्क़ का सानेहा फिर न हो
दिल के हर पेड़ को ख़त्म जड़ से करो
ताकि दिल में कभी घोंसला फिर न हो
नींद की गोलियां दिल को देके रखो
दिल कम-अज़-कम कभी दिल-ज़दा फिर न हो
आए कितने सुख़नवर जहां में मगर
दूसरा कोई पर ‘एलिया’ फिर न हो
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’