इस जहां में यारा झूठ की हुक़ूमत बहुत है,
इस जहां में यारा झूठ की हुक़ूमत बहुत है,
सच, ये तिलस्मी दुनियां ख़ूबसूरत बहुत है।
सिर्फ़ फ़ज़ा की गर्द साफ़ करने से क्या होगा,
अक्लमंदों के दिल में भी तो कुदूरत बहुत है।
हर लम्हा देखा है हमने, लोगों को बदलते हुए,
क़ीमत जो कुछ भी हो, यहां रक़ाबत बहुत है।
कैसे नहीं मिली तुम्हें सिर तक छुपाने की जगह,
हर किसी ने देखा है, शहर में इमारत बहुत है।
इल्म है सभी को कि कफ़न में जेब नहीं होती,
पर अधिक पाने की, सब में चाहत बहुत है।