इस घर में
एक दरवाजा
दूसरा दरवाजा
तीसरा दरवाजा
इस घर में सौ दरवाजे हैं
लेकिन यह घर
मेरे लिये एक कैदखाना है
यह सारे दरवाजे
दिनभर क्या
रात में भी खुले रहते हैं
कोई नहीं रोकता मुझे कि
मैं घर की चारदीवारी में
कैद रहूं
मैं खुद ही इस घर से
बाहर निकलना
नहीं चाहती
दुनिया में
मुझे कोई घर नहीं मिलता और
इस घर में मुझे
सारी दुनिया मिलती है तो
कोई भला मुझे बताये तो कि
मैं इस घर से बाहर क्यों
निकलूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001