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18 Jul 2016 · 1 min read

इस अनाथ को माँ जरूर देना

मैं हूँ अनाथ
इस दुनियाँ में मेरा
न घर न परिवार है
न ज़िन्दगी बेरंग है
कोई सुनता नहीं
लगता है सब पत्थर है …….

ज़माना हँसती है देख
फटे पुराने कपडे काला अंग
किसी क्या कहे
और किसे दोष दे
यहाँ सब है
अपने धुन में रंग ……….

बदलती है हर दिन ज़िन्दगी
पर दशा अपनी स्थिर
शाम कहीं और सुबह कहीं
खाने की तलाश में
भटकते है दर-बदर
पड़ गई है आदत
सो जाने की फुटपाथ में ………

देखा ही नहीं बचपन से
अपनी माँ को
माँ की ममता को
रोता हूँ चीखता -चिल्ल्ता हूँ
पागलो की तरह
कोचता हूँ अपने भाग्य को ………..

अगर मिल जाये भगवान कहीं तो
बस एक चीज़ मांगूगा
हे भगवान ! भले मुझे कुछ न देना
बस आपसे एक विनती है
इस अनाथ को माँ जरूर देना

Language: Hindi
730 Views
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