Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 May 2021 · 1 min read

इस अंधे युग में

खुद का नहीं पता
अपने घर वालों का पता नहीं
पता
यह कैसा वक्त का दौर है
जमाने की अंधी दौड़ है
खुद जिन्दा हैं
सांस ले रहे
घर में कौन बीमार है
तकलीफ में है
मर गया है
मर रहा है
नहीं पता
अपने ही परिवार में
रमे हैं
दुनिया को खुश करने
में लगे हैं
मंदिर जा रहे हैं
पूजा अर्चना,
दान पुण्य और
न जाने कितने
कर्मकांड और
आयोजनों में शामिल हो
रहे हैं
मां बाप होते हैं
कितने
बहुमूल्य कोहिनूर
उनका जनाजा उठ गया
और उनके बच्चों का
एक आंसू नहीं गिरा
कलेजा बाहर को नहीं
निकला
दिल नहीं फटा
खुदा तू अब अपने रहम की
बारिश कर
ऐसे पत्थर दिल लोगों को
थोड़ी सी तो समझ दे
न जाने किस दौड़ में
शामिल है यह आज की
युवा पीढ़ी
किस दिशा में जा रहे हैं
हे मौला
मेरी तो इस अंधे युग में
तुझसे यही प्रार्थना है कि
इनका मार्गदर्शन कर
इनको सद्बुद्धि दे।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 387 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
सन्यासी का सच तप
सन्यासी का सच तप
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
अमित
वादा
वादा
Bodhisatva kastooriya
ना धर्म पर ना जात पर,
ना धर्म पर ना जात पर,
Gouri tiwari
क़त्ल कर गया तो क्या हुआ, इश्क़ ही तो है-
क़त्ल कर गया तो क्या हुआ, इश्क़ ही तो है-
Shreedhar
जब बेटा पिता पे सवाल उठाता हैं
जब बेटा पिता पे सवाल उठाता हैं
Nitu Sah
ये साल बीत गया पर वो मंज़र याद रहेगा
ये साल बीत गया पर वो मंज़र याद रहेगा
Keshav kishor Kumar
भाई
भाई
Dr.sima
निष्काम,निर्भाव,निष्क्रिय मौन का जो सिरजन है,
निष्काम,निर्भाव,निष्क्रिय मौन का जो सिरजन है,
ओसमणी साहू 'ओश'
उम्र का एक
उम्र का एक
Santosh Shrivastava
बिल्ली पर कविता -विजय कुमार पाण्डेय
बिल्ली पर कविता -विजय कुमार पाण्डेय
Vijay kumar Pandey
बस एक प्रहार कटु वचन का - मन बर्फ हो जाए
बस एक प्रहार कटु वचन का - मन बर्फ हो जाए
Atul "Krishn"
टन टन बजेगी घंटी
टन टन बजेगी घंटी
SHAMA PARVEEN
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
Subhash Singhai
2991.*पूर्णिका*
2991.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कड़वा सच
कड़वा सच
Jogendar singh
हर कस्बे हर मोड़ पर,
हर कस्बे हर मोड़ पर,
sushil sarna
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
#रचनाकार:- राधेश्याम खटीक
#रचनाकार:- राधेश्याम खटीक
Radheshyam Khatik
औरत
औरत
नूरफातिमा खातून नूरी
बीते साल को भूल जाए
बीते साल को भूल जाए
Ranjeet kumar patre
फूल तितली भंवरे जुगनू
फूल तितली भंवरे जुगनू
VINOD CHAUHAN
मनुष्य प्रवृत्ति
मनुष्य प्रवृत्ति
विजय कुमार अग्रवाल
"वन्देमातरम"
Dr. Kishan tandon kranti
झूल गयी मोहब्बत मेरी,ख्वाइश और जेब की लड़ाई में,
झूल गयी मोहब्बत मेरी,ख्वाइश और जेब की लड़ाई में,
पूर्वार्थ
सरस्वती वंदना-2
सरस्वती वंदना-2
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गंगा- सेवा के दस दिन (चौथादिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (चौथादिन)
Kaushal Kishor Bhatt
गोपाल हूं मैं, काल भी
गोपाल हूं मैं, काल भी
Saransh Singh 'Priyam'
किसी ने तो चांद को रुलाया होगा, किसे अब चांदनी से मुहब्बत न
किसी ने तो चांद को रुलाया होगा, किसे अब चांदनी से मुहब्बत न
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं अकेला ही काफी हू  जिंदगी में ।
मैं अकेला ही काफी हू जिंदगी में ।
Ashwini sharma
Loading...