इश्क़
जब भी बैठता हूँ कुछ लिखने
डूब जाता हूँ उनकी यादों के समंदर में
मदहोश कर देती हैं उनकी यादें
क्यूंकि….
इश्क़-ए-मौहब्बत की स्याही
अब सूख चुकी है….
सुनील पुष्करणा
जब भी बैठता हूँ कुछ लिखने
डूब जाता हूँ उनकी यादों के समंदर में
मदहोश कर देती हैं उनकी यादें
क्यूंकि….
इश्क़-ए-मौहब्बत की स्याही
अब सूख चुकी है….
सुनील पुष्करणा