इश्क़ हो गया।
अजीब कशमकश में है
परीक्षार्थी ए जिंदगी
मंजिल की तलाश में
सफर से इश्क़ हो गया
ये उम्र थी , इश्क ,प्यार
मोहब्बत, जताने की
हम लगे रहे पढ़ाई में
पढ़ाई से इश्क हो गया।
ये वक्त था , कालेज में मौज,
मस्ती , सुंदरियां घुमाने का
हम पढ़ते रहे लक्ष्मीकांत
लक्ष्मीकांत से इश्क हो गया।
ये दौर था ,व्हाट्सएप, फेसबुक पर
दिन -रात चैटिंग करने का
हम करते रहे ऑनलाइन पढ़ाई
हमे ऑनलाइन इश्क हो गया।
ये समय था ,अन्य मित्रों की तरह
टिकटॉक वीडियो बनाने का
हम नोट्स बनाते रहे,
हमें नोट्स से इश्क हो गया।
ये दौर था यौवन का,
घूमने ,टूर पर जाने का
हम चाल और दूरी निकलते रहे
‘दीप’ समय से इश्क़ हो गया।
-जारी
©कुल’दीप’ मिश्रा