#ग़ज़ल-03
#ग़ज़ल
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मज़लिस में तक़रीर ग़ज़ब था
सच में वो तासीर नहीं है/1
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चाहत थी तुमको पाने की
पर अपनी तक़दीर नहीं है/2
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ताक़त से ही हासिल कर लूँ
ऐसा भी तदबीर नहीं है/3
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तेरे हिस्से होंगी ख़ुशियाँ
ये तो रब तहरीर नहीं है/4
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हसरत मंज़िल पाने की है
रोके वो जंज़ीर नहीं है/5
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दौड़ी आऊँ बंशी धुन पर
तू कोई आभीर नहीं है/6
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अपना भी लो हमको “प्रीतम”
इश्क़ यहाँ तक़सीर नहीं है/7
–आर.एस.प्रीतम
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल