इश्क़ में मिला तो सिर्फ धोखे
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दर्द जुदाई का सीने में कब से छुपाए बैठें है।
तेरे नाम की मेहँदी जाँ कब से लगाए बैठें है।
दिया हमे तो सिर्फ हर दफ़ा इश्क़ का धोखा
और हम आज भी तुम्हें अपना बनाए बैठें है।
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हो रही आज वो जुदा,बन्ध रही नए रिश्तों में
अपना बनाने की उम्मीद भी दफ़नाए बैठें है।
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हरेक आरजू हरेक सपने रही मिरे अधूरी ही
पर चाहत का समाँ आज भी जलाए बैठें है।
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पलके भीगें थे आँसू में उनका या धोखा था
झूठी मुस्कान थी या सच में मुस्कुराए बैठें है।
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उन हाथों में लगता मेहँदी अपने ही नाम का
पर वो हमें भूलकर नए सपने सजाए बैठें है।
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©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)