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20 Nov 2016 · 1 min read

[[ इश्क़ में जब दूरियाँ तुमको कभी लगने लगे ]]

? ग़ज़ल
इश्क़ में जब दूरियाँ तुमको कभी लगने लगे
आँसुओ की धार जब तुमको नदी लगने लगे
[[[[[[[[[[[[[[[[[}:::::::::::::::::::::::::::::::::::::]]]]]]]]]]]]]]]]]]]}
मान लेना हो गया है प्यार तुमको अब यहाँ
जिंदगी में जब तुम्हे कोई परी लगने लगे
[[[[[[[[[[[[[[[[[}:::::::::::::::::::::::::::::::::::::]]]]]]]]]]]]]]]]]]]}
इश्क़ में मिलती सजाये और कुछ मिलता नही
इश्क हो तो धूप भी फिर छाँव सी लगने लगे
[[[[[[[[[[[[[[[[[}:::::::::::::::::::::::::::::::::::::]]]]]]]]]]]]]]]]]]]}
लिख सको को तुम मुहब्बत प्यार के नगमे लिखो
गर पढ़े कोई उसे तो शायरी लगने लगे
[[[[[[[[[[[[[[[[[}:::::::::::::::::::::::::::::::::::::]]]]]]]]]]]]]]]]]]]}
दूर जब हम हो गए थे प्यार में हम तुम सनम
बिन तुम्हारें एक पल भी इक सदी लगने लगे
[[[[[[[[[[[[[[[[[}:::::::::::::::::::::::::::::::::::::]]]]]]]]]]]]]]]]]]]}
मोतियों की ,धार अब तो ,आँख से बहती सनम
जिंदगी भी अब हमें तो बंदगी लगने लगे
[[[[[[[[[[[[[[[[[}:::::::::::::::::::::::::::::::::::::]]]]]]]]]]]]]]]]]]]}
काम ऐसा , तुम करो , प्यार में अब तुम नितिन
इक दिए की रौशनी में जिंदगी लगने लगे
■■■■!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!■■■■
नितिन शर्मा
■■■■■■■■■■

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