इश्क़ की राह पे इक बार भी चल कर देखें
इश्क़ की राह पे इक बार भी चल कर देखें
लोग गिरते हैं मगर आप संभल कर देखें
कुछ तो दौलत का नशा और है कुछ ताक़त का
लोग किरदार बदलते हैं मचल कर देखें
ये भी मुमकिन है कि सच बात अधूरी हो अभी
आईना आप भी इस बार बदल कर देखें
दिल की दुनिया में दख़ल अक्ल का होता भी नहीं
ज़ह् न का जो है कुवां उससे निकल कर देखें
वो तो है मोम सा आख़िर वो पिघल जाएगा
आप पत्थर हैं ज़रा आप पिघल कर देखें
है जलन चीज़ भी क्या आपको मालूम नहीं
इक पतंगे की तरह आप भी जल कर देखें
उनके जाते ही किया याद कहा क्या था ग़लत
हाथ ‘आनन्द’ के मानिन्द भी मल कर देखें
– डॉ आनन्द किशोर