-: { इश्क़ का दिया } :-
उम्मीदों का धागा भी कुछ ऐसा होता हैं ,
जहाँ उम्मीद होती हैं, वहीँ से अक्सर टूट जाता है ,
ये मोहब्बत के रिस्ते भी बड़े अजीब होते हैं ,
दिल जिससे रूठता हैं , उसी के आगे झुक जाता हैं ,,
बुझा जो इश्क़ का दिया तो, दोष ज़माने की हवा का हो गया ,
दीये में वफाओ का तेल कम हो , तो भी दिया बुझ जाता है ,,
ये दिल की धड़कनों का भी कुछ एतबार नहीं ,
शिकवा करने जाओ ख़ुदा से , तो दिल से दुआ निकल जाता हैं ,,
बहुत हिसाब रखता है वो , सही और गलत का ,
गुनाह किसी का भी , सज़ा तो मेरे हिस्से ही आ जाता हैं ,,
वो कहते है तेरे दिल मे कोई न आये मेरे सिवा ,
अब कैसे समझाए उन्हें ,मोहब्बत जब उनसे तो उनका ख़याल
भी आ जाता हैं ,,
तुजे दिल देकर ही मिला है , मुझे तन्हाई और बेबसी ,
फायदा दिल का इसी में था , तभी तो नुकसान हो जाता हैं ,,
कितनी गहरी मोहब्बत हैं ,, ये तो एक फ़साना हैं सब के लिए ,
बस लिखते जाते हैं , जितना याद आता जाता हैं ,,
अब उनकी महफ़िल में मेरा , ख्याल भी नही आता हैं कभी ,
जो मैं जिक्र भी करू कभी तो , वो मेरा ज़ुर्म हो जाता हैं ,,
आज जब देखा अपने पाव के, छालों से निकलते लहू को,
मैंने तो राह में फूल बिछाए थे , तेरी बेरुखी से वो पत्थर हो
जाता हैं ,,