इश्क में होना होना है, ना होता रहा ।
इश्क में होना होना है, ना होता रहा ।
इन्तहा का भारी इंतजार, होता रहा ।।
सबसे बड़े आशिक खुदा का, रहम करम है l
इश्क पैदा हो, पनपता और पलता रहा ll
परवाना इश्क रोशन कर, बस उड़ता रहा l
शमा हुश्न का, ना कहीं है अतापता रहा ll
परवाने पर, फडफडाते रहते रात भर l
एक जालिम फरेबी, कत्ल कर छुपता रहा ll
बेरुखी, बेवफाई, बेअदबी, बेकरारी l
गमों का अंधेरा है, आशिक जलता रहा ll
काली सी बदरिया ने, घेर रखा चाँद को ।
अब तो चाँदनी का, ना आना दिखता रहा ।।
इश्क गमों की परवाह कभी ना की, फिर भी l
दिल में एक तीखा सूल, सदा चुभता रहा ll
प्यास में इश्क का, जोश ही जोश होता है l
यूँ प्यास जिन्दगी में, बेहद्द तैरता रहा ll
अरविन्द व्यास “प्यास”