इश्क में दर्द
गुफ्तगू करके हमें सोने नहीं देते हैं
मेरी सांसों की धड़कन को बढ़ा देते हैं।।
अभिनय में माहिर बातें उनकी मीठी मीठी
इश्क में गिरफ्त कर ठग ही उसे लेते हैं।।
बहुत सोचा कि खता क्या हुई मुझ से
दिल लगा कर खुद ही कदम हटा लेते हैं।।
इश्क मजहब देख कर करो जनाब
मजहब दोनों के अलग बैर बढ़ा देते हैं।।
ना कोई गिला है और न शिकवा शिकायत
जख्म गहरें हैं इतने मरहम भी दगा देते हैं।।