इश्क की महिमा
तेरी बेवफाई से भी हमने इतना प्यार किया है,
तुमने पत्थर भी मारा, बदले में फूल ही दिया हैं।। १
ये इश्क की बीमारी सनम होती ही है ऐसी,
जिसने भी किया है, वो मर-मरके जिया हैं।। २
इन हसीनाओं ने देखो क्या करिश्मा किया है,
चैन से न जीने दिया है, न मरने दिया हैं।। ३
ख़ुदा भी क्या अब तो सम्भालेगा हमको,
खुद ख़ुदा ने ही जिनको ये हुनर दिया हैं।। ४
इस “ज़ालिम” इश्क से बचकर रहना मेरे यारों,
जिसने पागल से भी ज्यादा हमको पागल किया हैं।। ५
शंकर “ज़ालिम”