इश्क का वहम
इश्क का वहम
काश कि मैं मैं न होती, और तू तू न हुआ होता।
न मन में भावना होती, न कभी ये दिल रोता।
न किसी की प्रतीक्षा होती, न लौटने का वादा होता।
न किसी की आदत होती, न कुछ खोने का भय होता।
न शब्दों की कमी खलती, न चर्चा का विषय खोता।
न मैं किसी से मिलती, न इश्क का वहम होता।
काश कि मैं मैं न होती, और तू तू न हुआ होता।
लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’