इश्क का जाम
तुम्हारी इश्क के महखाने का मैं जाम बन जाऊँ
अगर तुम रति बनो साथी तो तेरा काम बन जाऊँ
सिखी के पंख सी सुंदर गुलाबों से ओ प्यारी सुन
अगर तुम जानकी सी हो तो मैं श्री राम बन जाऊँ
सुबह से शाम तक मैं तो इसी कोशिश में रहता हूँ
सुकोमल भावनाओं का तुम्हारी दाम बन जाऊँ
कृष्ण की बाँसुरी सी हो मेरी धड़कन जरा धडको
कि जिसकी धुन से मैं साथी प्यार का धाम बन जाऊँ
अंधेरी रात सी तेरी इन्ही आँख से मिलने जाँ
सुबह से दूर जाकर मैं तो ढलती शाम बन जाऊँ
मेरी कॉलेज की इक लड़की मुझे राधा सी लगती है
मेरे गिरिधर करो ऐसा कि मैं घनश्याम बन जाऊँ
तुम्हारे नाम से जिसकी सदा पहिचान हो साथी
ऋषभ वैसा कोई मैं तो यहाँ इक काम बन जाऊँ
ऋषभ तोमर