इश्क़ हो जाऊं
इश्क़ हो जाऊं, प्यार हो जाऊं,
मैं अकेली तेरी हक़दार हो जाऊं।
लिपटी रहूं मैं तुझसे हर हमेशा,
इत्र हो जाऊं या गुबार हो जाऊं।
भूल जाऊं दुनियां के सारे रिवाज़,
मोहब्बत में हदों से पार हो जाऊं।
ओढ़ लूं तेरी मोहब्बत की चादर,
इठलाकर फ़स्ल-ए-बहार हो जाऊं।
खुशियों से महका दूं तेरी ज़िंदगी,
गुल हो जाऊं, गुलज़ार हो जाऊं।
मुस्कुराए तू दिल से हर घड़ी,
और वो घड़ी मैं बार बार हो जाऊं।
-©®Shikha