इश्क़ से अपने कुछ चुने लम्हें
इश्क़ से अपने कुछ चुने लम्हें
अनकहे और अनसुने लम्हें
आओ मिलकर जियें दुबारा से
सर्द रातों के गुनगुने लम्हें
संदीप ठाकुर
इश्क़ से अपने कुछ चुने लम्हें
अनकहे और अनसुने लम्हें
आओ मिलकर जियें दुबारा से
सर्द रातों के गुनगुने लम्हें
संदीप ठाकुर