इश्क़ ‘मुहब्बत’
जब हमें छोडकर वो’ चले जाएंगे|
सच-में-यूँ जी-ते-जी हम छले जाएंगे|
हे उन्हें’ सब पता रोग दिल का मेरे|
छोड़कर वो हमे क्यों भले जाएंगे|
ज़िन्दगी का अजब खेल देखो यहाँ|
दो घड़ी ही सही पर चले जाएंगे|
चाहकर भी जहाँ रोक ना पाएगा|
जख़्म दिलका तो हम यूँ सिले जाएंगे|
हे कसम ‘धीर’ को प्यार भरे दिल की|
प्यार’ बिन इस जहाँ से चले जाएंगे|
–धीरेन्द्र वर्मा