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18 Apr 2020 · 1 min read

इश्क़ ‘मुहब्बत’

जब हमें छोडकर वो’ चले जाएंगे|
सच-में-यूँ जी-ते-जी हम छले जाएंगे|

हे उन्हें’ सब पता रोग दिल का मेरे|
छोड़कर वो हमे क्यों भले जाएंगे|

ज़िन्दगी का अजब खेल देखो यहाँ|
दो घड़ी ही सही पर चले जाएंगे|

चाहकर भी जहाँ रोक ना पाएगा|
जख़्म दिलका तो हम यूँ सिले जाएंगे|

हे कसम ‘धीर’ को प्यार भरे दिल की|
प्यार’ बिन इस जहाँ से चले जाएंगे|
–धीरेन्द्र वर्मा

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