इश्क़ तेरा मेरा
मेरे बंजर वीरान पड़े दिल में, तू सावन की बरसात बनकर, एक बार फ़िर से, इसमें जान भर दे। रूह से रूह को हमवार करके, हमारी बेपनाह मुहब्बत का, ऐलान कर दे। शान, निशान, गुमान और इम्तिहान ही है, ये इश्क़ तेरा मेरा। अब मेरी हस्ती, तेरे सलावत की मोहताज़ है, या तो इसे आबाद कर दे या फ़िर इसे जीते जी शमशान कर दे।