इल्जाम
इल्जाम तो हर कोई लगाता है,
पर अपनी गलती को क्यों नहीं मानता है।
हां हमने तुमसे निस्वार्थ प्रेम किया,
तुमने उस काबिल ना समझा।
अरे हां मैं भूल गई यह व्हाट्सएप का जमाना है,
यहां हर कोई हर किसी के लिए ऑनलाइन रहता है
डर लगता है इस मतलबी भरे जमाने से ,
गलती कोई करता है इल्जाम कोई लगा देता है।
जमाना बदल रहा है सच्चा प्रेम कहीं नहीं आज एक से एक दूसरे से यही चल रहा है,
फिर भी जब वह गलती करे इल्जाम कोई लगा देता है ,उस पर पर अपनी गलती कोई क्यों नहीं मानता है।
✍️वंदना ठाकुर ✍️