इलाहाबाद आयें हैं , इलाहाबाद आये हैं…..अज़ल
एक तुम और तुम्हारा प्यार साथ लायें हैं,
इलाहाबाद आयें हैं , इलाहाबाद आये हैं।
दिल ये कह रहा है चीखकर के सुनो तुम,
हासिल करने को हम यहाँ सरताज आयें हैं।।
यूँ नहीं काटी जाती है हमसे रातें यहाँ पर,
कई रातें तो हम उनसे यहाँ उधार लायें हैं।
एक तुम्हारे प्यार के ख़ातिर अमेठी से,
इलाहाबाद आयें हैं, इलाहाबाद आयें हैं।।
अभी देखा नहीं मंजर की सैलाब आयें हैं,
झपकी पलकें जो मेरी तो कई ख़्वाब आयें हैं।
नहीं नीदें इन आँखों में अधूरे ख़्वाब को लेकर,
इलाहाबाद आयें हैं , इलाहाबाद आये हैं।।
जो टूटे ख़्वाब दिखते हों तो सपने साकार होते हैं,
मन में आशंका नही लाओ अज़ल तुम प्रेम की खातिर।
एक तुम्हारे प्यार के ख़ातिर अमेठी से,
इलाहाबाद आयें हैं, इलाहाबाद आयें हैं।।
लवकुश यादव “अज़ल”
अमेठी, उत्तर प्रदेश