इम्तिहान
इस सब्र के सफ़र में
तेरे कई इम्तिहान लिए जाएँगे
कुछ शब्दों के माने
जिनकी तुझे खबर नहीं थी
बताए जाएँगे
कुछ नए शब्द भी तेरी
शब्दावली में जोड़े जाएँगे
तू बस इत्मिनान रखना
अपनी सोच पर,
जो परदे के पीछे हैं
वो बाहर आ जाएँगे
क़ैद मैं जो पहचान है
जिस रिश्ते का नहीं
तुझे गुमान है,
वो सारे संबंधों के तार
सुलझाए जाएँगे
ये ना सोच इस सफ़र से क्या मिलेगा मुझे
अंतः में जो प्रश्नों का सैलाब है
कौन देगा उन सब का जवाब तुझे
तू देखना धीरे धीरे
वो सारी गिरहें खुल जाएँगी
सब सूखे दरख़्त गिराए जाएँगे
हरी घास के मैदान फिर
साफ़ नज़र आएँगे
@संदीप