इमोजी
इमोजी
पहले जहाँ थे शब्दों में भाव को सहेजते ।
आजकल तो लोग बस इमोजी ही भेजते।
तकनीक की भाषा या लिपि कीलाकार ।
कुछ कूट है, कुछ गूढ़ है,जटिल उदगार ।
मैं अबोध,इनका न बोध,इन्हें देख परेशान।
ठेंगा है या ठुल्लू ,कोई कराये इसका भान।
यद्यपि सम्प्रेषण का सूक्ष्म रूप इमोजी है।
पर क्या भावों का भी प्रतिरूप इमोजी है।
शब्दों के संपूरक रूप में इसका प्रयोग हो।
स्थानापन्न बनाकर, शब्दों का न लोप हो।
-©नवल किशोर सिंह