इबादत हो तुम !
तुम्हारी यादों में खोए बैठे हैं,
आंखों में सपने सजोए बैठे हैं।
इंतजार में तुम्हारी शाम हो गई,
नींद भी रातों की हराम हो गई।
तुम्हारी इक झलक जो मिल जाए,
मन हमारा खुशियों से खिल जाए।
आंखों में तुम्हारे भी छिपा प्यार है,
हृदय में तुम्हारे भी मौन इकरार है।
तुम जो मुझे देख नज़रें झुकाती हो,
इशारों इशारों में सब कह जाती हो।
तुम्हारे इशारे मैं खूब समझता हूं,
मन ही मन तुमसे सब कहता हूं।
तुम कहो न कहो मैं जानता हूं,
अपना तुम्हे ही अब मानता हूं।
मेरी तो जैसे अब आदत हो तुम,
सजदे में रहता हूं इबादत हो तुम।
इंतजार औपचारिक इकरार का है,
मन मंदिर में तुम्हारे दीदार का है।
जानती तुम भी, जानता मैं भी हूं,
ये दिखावा तो बस संसार का है।