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23 Apr 2020 · 1 min read

इन्सान

सरल सी बात को इतना कठिन तुम क्यों बनाते हो
किसी मुफ़लिस को डाट में अंग्रेज़ी क्यों सुनाते हो।

तुम्हारी है ज़मीं और ये आसमाँ भी तुम्हारा है
हमें मालूम है ये सबकुछ मगर क्यों रोज़ बताते हो।

विदेशी गाड़ियाँ तुम खूब दौड़ाओ सौ की स्पीड में
मगर फुटपाथ पे तुम देर रात को क्यों चलाते हो।

तुम्हारी गोद में बैठा वो महंगा पालतू कुत्ता
सुना है उसको बस तुम मिनरल वॉटर पिलाते हो।

कोई भूखा मिल जाए अगर तुम्हें हाथ फैलाते हुए
कड़ी आवाज़ में उसको ख़ुद से दूर भगाते हो।

कभी गलती से भी तुम चार-आने देके आते हो
सुना है हर एक एंगल से कई सेल्फ़ी उठाते हो।

ज़रा सा दुःख नहीं होता तुम्हें उनके हाल पे
मगर सीना तानके खुदकों इन्सान बताते हो।

जॉनी अहमद “क़ैस”

2 Likes · 2 Comments · 482 Views
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