इन्सान पता नही क्यूँ स्वयं को दूसरो के समक्ष सही साबित करने
इन्सान पता नही क्यूँ स्वयं को दूसरो के समक्ष सही साबित करने में इतना मशगूल हो जाता हैं की वह अपना वास्तविक व्यक्तित्व खो देता है ।
आप सही है तो है गलत हैं तो हैं बस वह आप है अपके वास्तविक रूप में ।