इतने अवगुण एक साथ
इतने अवगुण एक साथ
पहचान जाता हूँ मैं
अंधभक्तों को
उनकी अतार्किक
भाषा से
अश्लील टिप्पणियों से
सोच के सिमित
दायरे से
उनसे आ रही
सांप्रदायिक बू से
पितृसत्ता समर्थन व
महिला विरोधी सोच से
विषमतावादी आचरण से
लकीर का फकीर
प्रवृत्ति से
यथास्थितिवादिता से
और कर देता हूँ ब्लाक
दैनिक कार-व्यवहार से
फेसबुक पर
मित्र सूचि से
इतने अवगुण
एक साथ कौन झेले
-विनोद सिल्ला