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22 Mar 2024 · 1 min read

इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है

इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
होठों पे ज़ुल्म की कोई फरियाद नहीं है,
पंखों को काटकर मुझे क़ैदी बना लिया
मैं कैसे ये कह दूँ कि तू सय्याद नहीं है,
तिनके की तरह उड़ गया तूफ़ान के जानिब
ये आशियाना अब मेरा आबाद नहीं है
बर्बाद मेरी ख्वाहिशों का शहर हो गया
अब इसके बाद कुछ मेरा बर्बाद नहीं है,

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