इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
होठों पे ज़ुल्म की कोई फरियाद नहीं है,
पंखों को काटकर मुझे क़ैदी बना लिया
मैं कैसे ये कह दूँ कि तू सय्याद नहीं है,
तिनके की तरह उड़ गया तूफ़ान के जानिब
ये आशियाना अब मेरा आबाद नहीं है
बर्बाद मेरी ख्वाहिशों का शहर हो गया
अब इसके बाद कुछ मेरा बर्बाद नहीं है,