इतना तो करना स्वामी
इतना तो करना स्वामी!
जब निकले तन से प्राण
मुख में हो तेरा नाम,
मन भी वो कर ले ध्यान।
हृदय उत्साह से भरा हो,
भयभीत न जरा हो,
न कुछ छूटने का गम हो
न वासनाओं का मम् हो
हो भू चक्र पर बसेरा
स्वर्ण उषा का सवेरा
हो ऊर्ध्व से आरोहण
हो न चेतना तिरोहण।