इतना तो अधिकार हो
(21)
जीवन का जीवन पर
तेरे ये उपकार हो ।
केवल सफलता ही नहीं
हार भी स्वीकार हो।।
वाणी तेरी मीठी-मीठी
उच्च तेरे विचार हो।
मित्र बने शत्रु भी तेरे
ऐसा तेरा व्यवहार हो ।।
तेरी प्रतिष्ठा तेरा गौरव
जीवन का पर्याय हो, ।
जाग उठे आत्मा तेरी
ऐसी एक ललकार हो।।
कर दूं तुझे आत्मा ही नहीं
हर श्वास समर्पित, ।
मेरा तुझपर मेरे प्रिय
इतना तो अधिकार हो।”
डाॅ फौज़िया नसीम शाद