इतना आसान नहीं होता प्रधान मंत्री बनना!!
जब से बना वो व्यक्ति प्रधान मंत्री ,
समझ लो उसने सारी निद्रा त्याग दी ।
कांटो की शय्या बना उसका जीवन,
सुख की कामना ही उसने त्याग दी ।
विपक्षी दल के तीक्ष्ण व्यंग्य बाणों को ,
सहने की उसने आदत ही बना ली ।
कभी फूलों के हार ,कभी कांटो की सेज ,
कुछ भी स्थाई नहीं जगत में ,
यह सच्चाई स्वीकार कर ली ।
कोई नही जानता वो चिंताओं से हर समय ,
घिरा रहता है ।
हर समय कई मनसूबे बनाता है तोड़ देता है ।
यही क्रम सटीक निर्णय तक चलता रहता है ।
१८ -१८ घंटे वोह काम करता है।
वृद्ध अवस्था में भी कितनी देश विदेश यात्राएं,
वो करता है।
अज्ञानी और कुत्सित बुद्धि के लोग समझते है ,
वो ऐश करता है।
अरे! वो देश और विदेश के लोगों को आपस में ,
जोड़ता है।
सब संबंधों को मजबूत बनाता है।
घर ,परिवार और पत्नी का साथ इसीलिए त्यागा ,
ताकि राष्ट्र को समर्पित हो सके ।
इस पद पर भला कब कोई टीक पाया।
वही रहा स्थित जिसने कर्मठता को अपनाया।
रोज नई जटिल समस्याएं जन्म ले लेती हैं।
कभी घरेलू ,तो कभी बाह्य ।
कभी आंतरिक समस्या तो कभी पड़ोसी मुल्कों से ,
समस्या।
ना जाने वो इनसे कैसे निबटता है ?
कितनी कुशलता से इन सबको सुलझाता है।
उस पर लोग कहते है pm करता क्या है ?
कभी एक दिन के लिए pm बनके देखो ।
उसकी जगह पर खुद को रख कर देखो ।
तो समझ में आ जायेगा ।
रोज जहर के घूंट पीता है यह व्यक्ति ,
सर पर कफन बांध कर जो जीता है ।
है तुममें इतनी हिम्मत , इतना साहस ,
इतनी सहनशीलता ,इतना धैर्य ,
जो उसका आत्मिक बल है ।
है तुममें इतना संय्यम ,त्याग, नम्रता , प्रेम ,
दया ,करुणा , इत्यादि मानवीय गुण ।
जो उसका स्वभाव है।
इन्ही दिव्य गुणों के सहारे वो वृद्ध अवस्था में ,
भी चट्टान बनकर हमारे देश के रक्षा को ,
हमारे रक्षा को खड़ा है।
बाहरी और आंतरिक शत्रुओं के सामने।
अब जान चुके हो सब तो मान लो ,
इतना आसान नहीं होता प्रधान मंत्री बनना।