इक ज़ख़्म
एक दर्द में जीता जा रहा हूँ मैं,
अश्क लबों से पीता जा रहा हूँ मैं ।
इक ज़ख़्म बैठ गया है सीने में,
बाक़ी सब तो सीता जा रहा हूँ मैं ।।
#हनीफ़_शिकोहाबादी ✍️
एक दर्द में जीता जा रहा हूँ मैं,
अश्क लबों से पीता जा रहा हूँ मैं ।
इक ज़ख़्म बैठ गया है सीने में,
बाक़ी सब तो सीता जा रहा हूँ मैं ।।
#हनीफ़_शिकोहाबादी ✍️