इक दूजे पर सब कुछ वारा हम भी पागल तुम भी पागल।
ग़ज़ल
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इक दूजे पर सब कुछ वारा हम भी पागल तुम भी पागल।
मैं तुझको तू मुझको प्यारा हम भी पागल तुम भी पागल।1
हम तुम मिलकर देश को अपने चांद से आगे ले जाएंगे।
दुनियां ने इस पर दिल हारा हम भी पागल तुम भी पागल।2
जिसको हमने इश्क किया था दुनियां भी दिल दे बैठी है,
सबको लगता प्यार हमारा हम भी पागल तुम भी पागल।3
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में उलझा रक्खे हैं,
सबको मज़हब से है मारा हम भी पागल तुम भी पागल।4
मूली गाजर से भी बद्तर हम सब तौले जाते हैं अब,
सबसे सस्ता भाव हमारा हम भी पागल तुम भी पागल।5
इश्क़ मुहब्बत के चक्कर में पड़ कर दर दर फिरता है क्यों,
प्रेमी जैसे इक बंजारा हम भी पागल तुम भी पागल।6
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी