इक काम कर लिया मैंने।
गज़ल
221……212……22
इक काम कर लिया मैंने।
आराम कर लिया मैंने।
बदनाम हो गया तो क्या,
कुछ नाम कर लिया मैंने।
बन जाए तू अगर साकी,
खुद जाम कर लिया मैंने।
गुमनाम हो गई थी तू,
बदनाम कर लिया मैनैं।
रविवार जश्न है ‘प्रेमी’,
इस शाम कर लिया मैंने।
……✍️ सत्य कुमार प्रेमी