इंसान
इस दुनिया को बनाने वाले ने भी क्या कर्म फरमाया है।
कांटों में ही गुलाब को खिलाया है।।
जिस प्रकार कांटो में खिलकर ही गुलाब, गुलाब बनता है ,उसी प्रकार मुसीबतों से लड़कर ही इंसान ,इंसान बनता है।।
माना कि गुलाब का कांटो में खिलना नहीं है आसान।
फिर भी चाहत देखो गुलाब की खिलकर मेहकाता है वह सारी बगिया को।
कांटों से ही पहनता है वह अपनी खूबसूरती का ताज,इसीलिए कहते हैं उसे फूलों का राजा।।
हे इंसान, फिर क्यों डरता है तू अपनी जीवन पथ की इन मुसीबतों से।
गुलाब कि तरह तू भी लड़कर अपने जीवन पथ की मुसीबतों से ,क्यों नहीं मेहकाता अपने कर्मों से इस समाज रूपी बगिया को।
हे इंसान ,उठ अब तू भी पहन मुसीबतों का ताज अपने सर पर।
परमात्मा की बनाई इस दुनिया में, तू बन इंसानियत का राजा।।