इंसान
सबसे बुद्धिमान प्रजाति इस धरती पर इंसान है।
मानसिक क्षमता का फ़ायदा उठाना उसके लिये आसान है।।
क्षमताओं की कड़ी चुनौतियों का उसको होता पूरा ज्ञान है।
संतुलन यदि बिगड़ जाये तो मनुष्य कर देता उल्टे काम है।।
मानवता का गुण हर व्यक्ति की बनती नहीं पहचान है।
मानवता को त्यागने वाला व्यक्ति बन जाता शैतान है।।
बाक़ी सभी प्रजाति धरती पर करतीं सभी वो काम हैं।
किसी फ़ायदे या नुक़सान का उनको नहीं कोई ज्ञान है।।
मानव के कार्य का लक्ष्य केवल फ़ायदा या नुक़सान है।
ख़ुद के किये कार्यों के बल ही तो बनती उसकी पहचान है।।
कर्मों का लेखा जोखा सबका केवल रखने वाला भगवान है।
उत्तम कर्मों को करने वाले की बन जाती अलग पहचान है।।
कहे विजय बिजनौरी स्वर्ग से धरती पर जो भी मानव आता है।
वह इसी जन्म में इसी धरती पर अपने कर्मों अनुरूप ही सुख दुःख पाता है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी