इंसान हूं मैं
घमंडी तो नहीं मैं बस अपने उसूलो में चला करता हूँ ,
दिल – ए – जख्म बढ़ ना जाए बस इसलिए
पन्नों मे लिखा करता हूँ ,
और ज़माने वाले मुझे जो समझे ये
उनका अपना नज़रिया है ,
मैं तो बस इंसान हूँ इन्सानियत की
राहों में चला करता हूँ ।
घमंडी तो नहीं मैं बस अपने उसूलो में चला करता हूँ ,
दिल – ए – जख्म बढ़ ना जाए बस इसलिए
पन्नों मे लिखा करता हूँ ,
और ज़माने वाले मुझे जो समझे ये
उनका अपना नज़रिया है ,
मैं तो बस इंसान हूँ इन्सानियत की
राहों में चला करता हूँ ।