इंसान या शैतान
आज का इंसान तो बस, मूरत है शेतान की…
दया धर्म अब बचा नही है, पापी हर इंसान है..
खून चूसते धोखा देते, बने हुए हैवान है..
भुखा बच्चा उस गरीब का, भूख से मर जाता है..
और अमीरो का कुत्ता बंगलो मे बिस्किट खाता है..
कोई किसी के काम न आता बाते करते एहसान की..
आज का इंसान तो बस मूरत है शैतान की…..
सेवा को व्यापार बनाया, नेताओ ने देश को खाया..
काम की बाते छोड़ छाड़कर, जात धर्म का मुद्दा आया..
वोट बैंक ओर धन की खातिर, ईमान की ही बोली लगाते..
मजबूरो का शोषण करते, बेईमानी करते जाते..
झूट बोलते ओर झूठी कसमे खाते भगवान की…
आज का इंसान तो बस….
खून से सींचकर वृक्ष बनाया,वो छाया नही देते है..
माँ बाबा अब बोझ हुए है, उनको ही दुख देते है..
न अब नारी सीता जैसी, न हर इंसान राम है..
एक दूजे को धोखा देते, विश्वाश का न अब नाम है..
रिश्ते नाते हुए मतलबी चिंता बस खुद के प्राण की…..
आज का इंसान तो बस…….
दिल से सच्चे संतो को ही, दिल से नमन मे करता हु..
सत्य की राह बताने वालो को मे वंदन करता हु..
पर कुछ पाखंडी बाबा भी अब, धर्म के ठेकेदार बने.
कर्म गलत करते रहते है, नाम प्रभु का लेते लेते.
मन मे पाप भरा रहता है बाते करते है ज्ञान की……
आज का इंसान तो बस………
है कुछ लोग अभी सच्चे, जिनके मन मे भलाई है.
वो भी अंश प्रभु का ही है, जिनके दिल मे बुराई है.
उनको भी सद्बुध्दी देना जिनकी बुरी है भावना.
विश्व का कल्याण हो प्रभु, है “सुशील” की कामना..
परोपकार करवाते रहना रक्षा करना ईमान की….
आज का इंसान तो बस मूरत है शैतान की…..
— डॉ संदीप विश्वकर्मा
आरोग्य होम्यो. चिकित्सा केन्द्र,
ब्यावरा ( राजगड़ ) म.प्र.