इंसान में भगवान का दीदार नहीं हैं।
गज़ल- फिल से हासिल
221…..1221…..1221…..122
इंसान में भगवान का दीदार नहीं हैं।
इंसान को इंसान से अब प्यार नहीं है।
दुख दर्द किसी का भी हो महसूस नहीं हो,
पशु भी तो तेरे जैसा कोई यार नहीं हैं।
मेहनत से मिले मान व सम्मान उसे लो,
जो दान मिले भीख सा स्वीकार नहीं है।
दीवारें कई आज भी हैं देख सको तो,
हम सब में छिपी जाति की दीवार नहीं है।
वो सबको गुनहगार कहें, साथ न देंगे,
उनकी भी तो इन बातों का आधार नहीं है।
टीवी पे समाचार क्या बकवास दिखेगा,
सच को लिखे जो शान से अखबार नहीं हैं।
प्रेमी न करे प्यार जो इंसान कहोगे,
दुनियाँ मे उसे प्यार का अधिकार नहीं है।
……..✍️प्रेमी