“इंसान को सीख”
खुद को खुद ही सही कहने वाले ये तो समझ।
इंसान को गलत होने का एहसास नहीं होता।।
मिट जाती है अहिस्ता अहिस्ता हस्ती उसकी।
जिसे औरो से ज्यादा खुद पर विश्वास नहीं होता।।
परेशान रहता है गैरों के वजूद को ढूढने में।
कही कभी कोई उसका खास नहीं होता।।
सिमटता रहता है वह अपनी दुनिया में कहीं।
उसकी हर गलती हमेशा इत्तेफाक नहीं होता।।
ताउम्र खोजता रहा कमिया औरों की,अब तो समझ।
अज्ञानता से जीवन में प्रकाश नहीं होता।।
जिंदगी एक बिसात है फूँक फूँक कर रख कदम।
कभी कदमों तले जमीं, कभी सिर पर आकाश नही होता।।
@सर्वाधिकार सुरक्षित
मनीष कुमार सिंह ‘राजवंशी’
असिस्टेंट प्रोफेसर(बी0एड0 विभाग)
स0ब0पी0जी0 कॉलेज
बदलापुर, जौनपुर