Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
#8 Trending Author
Mamta Rani
56 Followers
Follow
Report this post
28 Aug 2024 · 1 min read
इंसान की फ़ितरत भी अजीब है
इंसान की फ़ितरत भी अजीब है
अच्छाई की उम्मीद होती है पर
दूसरों से
Tag:
Quote Writer
Like
Share
1 Like
· 51 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from Mamta Rani
View all
काव्यांश
Mamta Rani
काव्य एक जुनून
Mamta Rani
You may also like:
"आक्रात्मकता" का विकृत रूप ही "उन्माद" कहलाता है। समझे श्रीम
*प्रणय*
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
Manisha Manjari
ज़िम्मेदारी उठाने की बात थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अधूरा ही सही
Dr. Rajeev Jain
*सो जा मुन्ना निंदिया रानी आई*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"हँसता हुआ धुआँ"
Dr. Kishan tandon kranti
झाँका जो इंसान में,
sushil sarna
रो रो कर बोला एक पेड़
Buddha Prakash
"समय का महत्व"
Yogendra Chaturwedi
अनकहे अल्फाज़
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
ये इश्क भी जुनून हैं,मुकाम पाने का ।
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
*पर्यावरण दिवस * *
Dr Mukesh 'Aseemit'
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
अपना सम्मान हमें ख़ुद ही करना पड़ता है। क्योंकी जो दूसरों से
Sonam Puneet Dubey
मन के बंद दरवाजे को खोलने के लिए
Meera Thakur
मर्यादा की लड़ाई
Dr.Archannaa Mishraa
कभी वो कसम दिला कर खिलाया करती हैं
Jitendra Chhonkar
तुम्हारे लिए
हिमांशु Kulshrestha
बदली बारिश बुंद से
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"" *हे अनंत रूप श्रीकृष्ण* ""
सुनीलानंद महंत
मेरी किस्मत पे हंसने वालों कब तलक हंसते रहोगे
Phool gufran
राम राज्य
Shashi Mahajan
हम सृजन के पथ चलेंगे
Mohan Pandey
4151.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"प्यासा"-हुनर
Vijay kumar Pandey
गुमनाम राही
AMRESH KUMAR VERMA
अगर शमशीर हमने म्यान में रक्खी नहीं होती
Anis Shah
स्वयं को संत कहते हैं,किया धन खूब संचित है। बने रहबर वो' दुनिया के
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
*हटता है परिदृश्य से, अकस्मात इंसान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*अब न वो दर्द ,न वो दिल ही ,न वो दीवाने रहे*
sudhir kumar
Loading...