इंसान कितना मजबूर है
इंसान कितना मजबूर है
जिन्दगी तुझे जीने के लिए
सब कुछ सहता है आसानी से
खुलकर तुझसे मिलने के लिए
अपने जज्बातों को सहता है
कुछ रिश्ते निभाने के लिए
अपने हर अश्क को पीता है
जिन्दगी तुझे जीने के लिए
इंसान कितना मजबूर है
जिन्दगी तुझे जीने के लिए
सब कुछ सहता है आसानी से
खुलकर तुझसे मिलने के लिए
अपने जज्बातों को सहता है
कुछ रिश्ते निभाने के लिए
अपने हर अश्क को पीता है
जिन्दगी तुझे जीने के लिए