इंसान और गलतियां
इंसान गलतियों का पुतला है
अगर गलती करेगा ही नही तो सीखेगा कैसे
साल का आखिरी दिन है इसे विदा करने का समय आ गया है
जो भी गलतियां की उनका आंकलन करने का वक्त निकालिए ताकि आने वाले साल में उसे दुबारा ना दोहरा पाए
जिंदगी है तो मिले जुले अनुभव भी मिलेंगे , हमेशा छांव हो ये भी नही हो सकता क्योंकि तपना भी जरूरी है ताकि छांव की कीमत पता चले सके
सुख है तो दुख भी आएगा ही , कभी आंखो में नमी तो कभी होंठो पर मुस्कान
कभी कुछ पाना तो कभी कुछ खोना
यही सिलसिला है जो अंतिम श्वास तक चलता रहेगा
स्थायी कुछ नही है इसलिए खुशी में ज्यादा खुश ना हो और दुख में ज्यादा दुखी ना हो
जीवन में सबक मिलना बहुत जरूरी है इसलिए हर इंसान से कुछ ना कुछ सीखने का प्रयास करना चाहिए
एक दूसरे के अनुभव से ही बहुत कुछ सीखा जा सकता है , जरूरी नहीं के गलती करे या खुद पर बीते तब ही सीखें
जाते साल ईश्वर से अपने द्वारा बोले हर अपशब्द की माफी और आने वाले साल के लिए मंगलकामना
आप सब भी तैयार हो जाइए इस नए साल का स्वागत करने के लिए क्योंकि इस साल श्री राम चंद्र भगवान का पुनः अयोध्या आगमन है और इस बार हमेशा के लिए