इंसानी दिमाग
प्रभु का यह कमाल तुम देखो धरा पर,
पंछी पशु प्रकृति ना जाने क्या क्या बना दिया।
और फिर धरती बने यह स्वर्ग खूबसूरत,
इसलिए अंत में एक इंसान भी बना दिया।।
सब हैं एक दूजे के पूरक यह कमाल भी,
धरती पर करके प्रभु ने दिखा दिया।।
सबको सबसे भिन्न बनाने के कारण।
तुलना का किस्सा ही देखो मिटा दिया।।
जिम्मेदारी दी इंसान को इस धरती को।
स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर बनाने की।।
और दिमाग जो नहीं दिया किसी को प्रभु ने
सोचने की खातिर बस इंसान में लगा दिया।।
अब कमाल देखो दिमाग का जिसने।
इंसान को क्या क्या करना सिखा दिया।।
वफादारी की परख में इंसान ने सबसे।
बड़ा वफादार ही कुत्ते को बता दिया।।
रंग बदलना जो फितरत थी गिरगट की।
गिरगट से ज्यादा रंग बदल कर दिखा दिया।।
सबको मिलजुल कर रहने का पाठ जो।
प्रभु ने बनाया था केवल इंसान के लिए।।
तेरे मेरे के चक्कर में इंसानी दिमाग ने।
उसको अपना घर तोड़ना ही सीखा दिया।।
प्रभु भी सोच रहा अब बैठकर क्या क्या।
सोचकर इस इंसान को मैने बना दिया।।
स्वर्ग बनाने की खातिर भेजा था धरती पर।
और इसने तो सारी धरा को ही नर्क बना दिया।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी