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30 May 2021 · 1 min read

इंसानियत हुई तार – तार है

इंसानियत हुई तार – तार है

इंसानियत हुई तार – तार है

मानवता हुई बेजार है

कोरोना की इस त्रासदी में

कैसी ये कुदरत की मार है

ऑक्सीजन का अभाव है

दवाइयों की भी मारामार है

अपने – अपनों को लूटते

मानवता हुई शर्मशार है

शमशान हो रहे रोशन

आशियानों पर अन्धकार है

नेता चुनाव में उलझे रहे

इंसानियत रही बीमार है

कि ये मरा , कि वो मरा

देखो सब हैं कैसे मर रहे

मर रही बेचारी जनता

नेताओं के आशियाने गुलजार हैं

सिस्टम विकलांग हो गया

व्यवस्था चरमरा रही

एक माँ से उसका दर्द पूछो

बहन भी हुई बेजार है

राजनीति अब भी हो रही

मानवता चीख – चीख रो रही

डॉक्टर नर से देव हो गए

आँखें उनकी भी पथराई हैं

बाप की अर्थी को बेटा

चाहकर भी कंधा न दे रहा

किसकी अर्थी जली , किसने जलाया

यह प्रश्न अब भी बरकरार है

दुआओं का समंदर हो रहा रोशन

हर जुबाँ पर यही दुहाई है

मेरे मालिक बहुत हुआ बस

तेरी लाज पर बात बन आई है

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 255 Views
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